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हरियाणा के करनाल में भाजपा के बाद कांग्रेस नेताओं ने भी बगावत शुरू कर दी है. नीलोखेड़ी (रिजर्व) सीट से टिकट न मिलने पर पूर्व मंत्री राजकुमार वाल्मीकि ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. वह धर्मपाल गोंदर को कांग्रेस उम्मीदवार बनाने से नाराज हैं. राजकुमार वाल्मीकि ने कहा, ‘इस बार पूरी उम्मीद थी कि उन्हें टिकट मिलेगी, लेकिन पार्टी ने धर्मपाल गोंदर को प्राथमिकता दी. इसलिए वे अब आजाद मैदान में उतरने का फैसला कर चुके हैं.’
1991 में बने थे विधायक
राजकुमार वाल्मीकि 1986 से लेकर 1991 तक यूथ कांग्रेस कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी रह चुके हैं। 1991 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर करनाल जिले की जुंडला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बने. उस दौरान उन्हें रेवेन्यू और वन मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1998 और 2014 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए.
2019 विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दी तो वह इनेलो में शामिल हो गए. 2023 में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब करनाल पहुंची तो वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद से वह नीलोखेड़ी से टिकट मांग रहे थे.
नीलोखेड़ी में सबसे ज्यादा आवेदन आए
नीलोखेड़ी विधानसभा से इस बार कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ने के लिए 88 नेताओं ने आवेदन किए थे. टिकट दावेदारों में सबसे ऊपर नाम राजेश वैद्य और पूर्व मंत्री राजकुमार वाल्मीकि का था. 2019 में धर्मपाल गोंदर निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायक बने थे. इसके बाद उन्होंने भाजपा सरकार को समर्थन दे दिया.
2024 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने 2 अन्य निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर भाजपा से समर्थन वापस ले लिया और कांग्रेस के साथ आ गए. हाल ही में उन्होंने कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी.