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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर के खौफनाक मामले में आज सुप्रीम कोर्ट के सामने कई जानकारियां सामने आई और आरोप भी लगाए गए. एक वकील ने आरोप लगाया कि वजाइनल स्वैब को 4 डिग्री सेल्सियस पर सुरक्षित नहीं रखा गया था. इस पर सीबीआई की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस तरह के अपराध में पहले 5 घंटे बहुत अहमियत रखते हैं. उस वक़्त जुटाए गए सबूत महत्वपूर्ण होते हैं. क्राइम सीन को सुरक्षित रखना होता है. हमारे लिए चैलेंज ही ये है कि 5 दिन बाद CBI की इस मामले में एंट्री हुई. आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में गैरहाजिर चल रहे प्रोटेस्ट करने वाले डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए कल शाम (10 सिंतबर) 5 बजे तक का वक़्त दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर वे कल शाम तक काम पर नहीं लौटते तो उन्हें राज्य सरकार की ओर से अनुशासनात्मक कार्रवाई झेलनी पड़ सकती है.
SG तुषार मेहता ने आगे कहा कि फॉरेंसिक रिपोर्ट से पता चलता है कि पीड़िता की जींस और अंडरगारमेंट्स हटे हुए थे. ट्रेनी डॉक्टर सेमी-न्यूड स्थिति में थी. उसके शरीर पर चोट के निशान थे. इसके बाद मेहता ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने सैंपल भेजे थे लेकिन CBI ने ये सैंपल दोबारा जांच के लिए एम्स की लैब को भेजने का फैसला किया है. ये महत्वपूर्ण हो जाता है कि सैंपल कौन इकट्ठा कर रहा है.
चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या क्राइम सीन का पूरा CCTV फुटेज CBI को सौंपा गया है? CCTV फुटेज से आरोपी की एंट्री और एग्जिट का पता चलता है. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हमने CBI को सौंप दिया है. SG तुषार मेहता ने भी इससे सहमति जताई. SG ने कहा कि लेकिन हमें reconstruction करना होगा.
पोस्टमार्टम कब हुआ था?
सुनवाई के दौरान एक वकील ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि शाम 6 बजे के बाद पोस्टमार्टम नहीं हो सकता. कोर्ट को ये देखना चाहिए कि क्या पीड़िता के कपड़े डॉक्टर को दिए गए थे या नहीं? पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं है कि पोस्टमार्टम कब हुआ. सारे डॉक्टर नार्थ बंगाल लॉबी के हैं.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चालान गायब
हां, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस पर भी सवाल उठाया कि बिना चालान के (जांच अधिकारी की ओर से मेडिकल अफसर को पोस्टमार्टम के लिए की गई औपचारिक निवेदन) पोस्टमार्टम कैसे हो गया? कोर्ट ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चालान गायब है. बिना चालान के पोस्टमार्टम कैसे हो सकता है? अगर ऐसा हुआ है तो कुछ तो गड़बड़ है. पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल इस बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए कि चालान कहां है? उन्होंने कोर्ट से इस बिंदु पर जवाब दाखिल करने के लिए वक़्त मांगा.
डॉक्टर काम पर लौटें: CJI
सीजेआई ने कहा कि इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं कि एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे की देरी हुई है. चीफ जस्टिस ने आखिर में यह भी कहा कि हम चाहते हैं कि डॉक्टर कल शाम 5 बजे तक काम पर लौटें. उनका काम सेवा का है. हम सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें सुरक्षा और सुविधाएं मिलें. अभी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न हो, लेकिन उन्हें काम पर लौटना होगा.
कोर्ट ने बंगाल सरकार से भी कहा कि वह सुनिश्चित करे कि डॉक्टरों को काम के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक माहौल मिल सके. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर बताया गया कि डॉक्टरों के काम पर न लौटने के चलते 6 लाख मरीज प्रभावित हुए हैं. इलाज के अभाव में अब तक 23 मरीजों की मौत हो चुकी है. कोर्ट ने हॉस्पिटल की सुरक्षा में तैनात CISF की कंपनियों को हॉस्पिटल के नजदीक ही रहने की सुविधा और ज़रूरी सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने को कहा.
17 सितंबर तक नई रिपोर्ट दीजिए…
शीर्ष अदालत ने सीबीआई को 17 सितंबर तक जांच पर नई स्थिति रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी को निर्देश दिया कि अर्द्धसैनिक बल की तीनों कंपनियों को आवास की सुविधा प्रदान की जाए. न्यायालय ने निर्देश दिया कि सीआईएसएफ के लिए जरूरी सभी सुरक्षा संसाधन उसे आज ही मुहैया कराए जाएं.
इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के खिलाफ डॉक्टरों की हड़ताल के चलते 23 लोगों की मौत हो चुकी है. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार स्थिति रिपोर्ट चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को सौंपी. उन्होंने पीठ से कहा, ‘एक स्थिति रिपोर्ट जमा की गई है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट जमा की है. डॉक्टर हड़ताल पर हैं इसलिए 23 लोगों की मौत हो चुकी है.’
पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी हैं. उच्चतम न्यायालय ने 22 अगस्त को महिला चिकित्सक की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी को लेकर कोलकाता पुलिस से नाराजगी जताई थी.