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संतान सप्तमी व्रत कब? पूजा के लिए कुछ ही देर का शुभ मुहूर्त, जानें समय और पूजा विधि

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भाद्रपद मास में आने वाली सप्तमी का विशेष महत्व होता है. भाद्रपद सप्तमी तिथि को मुक्ताभरण सप्तमी, संतान सप्तमी और दुबड़ी सप्तमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान की मंगल कामना के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही संतान प्राप्ति की जो महिलाएं कामना रखती हैं वह भी इस व्रत को करती हैं. इस दिन दुबड़ी माता की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं दुबड़ी सप्तमी या संतान सप्तमी का व्रत कब रखा जाएगा साथ ही जानें पूजा विधि.

कब है संतान सप्तमी का व्रत?
बता दें कि मुख्य रुप से राजस्थान में इसके दूबड़ी सप्तमी कहा जाता है। जबकि देश के अन्य भागों में इसे संतान सप्तमी और मुक्ताभरण सप्तमी के नाम से जाना जाता है. महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस व्रत को रखती हैं. दुबड़ी सप्तमी का व्रत इस बार 10 सितंबर 2024 मंगलवार के दिन रखा जाएगा. सप्तमी तिथि का आरंभ 9 सितंबर की रात 9 बजकर 54 मिनट पर होगा और अगले दिन 10 सितंबर को रात में 11 बजकर 13 मिनट तक सप्तमी तिथि रहेगी. उदया काल में सप्तमी तिथि 10 सितंबर को होने के करण संतान सप्तमी का व्रत मंगलवार 10 सितंबर को ही रखा जाएगा.

संतान सप्तमी पूजा मुहूर्त
अमृत चौघड़िया सुबह 6 बजकर 27 मिनट से 8 बजे तक
शुभ चौघड़िया सुबह 9 बजकर 32 मिनट से 11 बजकर 5 मिनट तक
संतान सप्तमी की पूजा दोपहर से पहले ही कर लेनी चाहिए। इसलिए 10 सितंबर के दिन आप इन दो शुभ मुहूर्त पर पूजा कर सकते हैं.

संतान सप्तमी पूजा विधि

  • सबसे पहले अपने मंदिर की अच्छे से साफ सफाई के बाद लकड़ी की एक पटरी स्थापित करें। उसपर लाल कपड़ा बिछा दें। इसपर माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें.
  • फिर एक कलश में पानी भरकर उसपर नारियल रख दें। कलश में आम के पत्ते जरूर लगाएं.
  • पूजा के लिए आरती की थाली की तैयारी करें. थाली में हल्दी, कुमकुम, चावल, कपूर, फूल, मिठाई, आटे की लोई और उसमें कुछ दक्षिणा रख लें. साथ ही मीठी पूड़ी भी रखें.
  • इन सबके बाद 7 मीठी पूड़ी को केले के पत्ते में बांधकर उसे पूजा में रखें और संतान की रक्षा की कामना करते हुए भगवान शिव और माता पार्वती को कलावा अर्पित करें.
  • पूजा करते समय सूती का डोरा हाथ में पहन लें। यह व्रत माता और पिता दोनों ही रख सकते हैं.
  • इसके बाद संतान सप्तमी की कथा का पाठ करें और अंत में माता पार्वती की आरती जरुर करें.
  • अंत में अपना व्रत मीठी पूड़ी के साथ अपने व्रत का पारण करें.

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